खाली था दिल का जाम

खाली था दिल का जाम

( Khali tha Dil ka Jaam )

 

रंगीनिये -हयात के मंज़र से भर गई
बस इक नज़र मिली थी कि दिल में उतर गई

प्यासों की प्यास और बढ़ा कर गुज़र गई
लेकर सरापा-हुस्न के साग़र जिधर गई

उसकी निगाहे-नाज़ बड़ा काम कर गई
खाली था दिल का जाम मुहब्बत से भर गई

अब भी मेरी निगाह में रहती हैं शोखियाँ
देकर मेरी निगाह को ऐसा असर गई

तेरा ही अक्स दूर तक आया नज़र हमें
तेरी तलाश में ये जहाँ तक नज़र गई

सब कुछ है मेरे पास मगर मेरे दोस्तो
उसके ही साथ लज़्ज़ते-दर्द-ए-जिगर गई

तन्हाइयों का दर्द है यादों की बरछियाँ
क्या -क्या न इस जुदाई में दिल पर गुज़र गई

मत छेड़ दोस्त उसके तबस्सुम की दास्ताँ
इक पंखुड़ी गुलाब की जैसे बिखर गई

साग़र किसी का अक्स जो उतरा गिलास में
पी थी जो उम्र भर वो यकायक उतर गई

 

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

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