उठाने के बाद | Uthaane ke Baad
उठाने के बाद
( Uthaane ke Baad )
दिल की महफ़िल से मुझको उठाने के बाद
कोई रोता रहा मुस्कुराने के बाद
उनके तीर – ए – नज़र का बड़ा शुक्रिया
ज़िन्दगी खिल उठी चोट खाने के बाद
हौसलों को नई ज़िंदगी दे गया
एक जुगनू कहीं झिलमिलाने के बाद
उसने दीवाना दिल को बना ही दिया
इक निगाह – ए – अदा आज़माने के बाद
पल में दुनिया की उसने ख़ुशी सौंप दी
मेरे काँधे पे सर को टिकाने के बाद
दिल का दरवाज़ा यूँ बंद करना पड़ा
किसका रस्ता तकूँ तेरे जाने के बाद
आज साग़र ये क्यों हिचकियां आ रहीं
याद किसने किया इक ज़माने के बाद
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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