दिल को छूने वाली ग़ज़ल

ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना | दिल को छूने वाली ग़ज़ल

ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना।

ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना।
अपनी पगड़ी संभाल के रखना।

डस न ले तीरगी कहीं तुमको।
घर में दीपक उजाल के रखना।

सांप इनमें ही छुप के पलते हैं।
आस्तीनें संभाल के रखना।

हो न ताख़ीर उनको देने में।
हाथ पर दिल निकाल के रखना।

दोस्त रूठे तो काम आएंगे।
चंद दुश्मन भी पाल के रखना।

इस से बढ़कर नहीं कोई नेअ़मत।
ज़िन्दगी को संभाल के रखना।

संग ही संग हैं यहां हर सू।
आइना देख भाल के रखना।

यह ही फ़र्क़त में गुदगुदाएंगे।
याद लम्हे विसाल के रखना।

मुस्कुराना है गर तुम्हें खुल कर।
रंजो ग़म दिल के टाल के रखना।

साथ मेरे चलो कहीं भी पर।
हाथ में हाथ डाल के रखना।

जब भी रखना ‘फ़राज़ ग़ज़लों में।
शेअ़र अपने ख़याल के रखना।

उनके आगे फ़राज़ तोह़फ़े अब।
जो भी रखना कमाल के रखना।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़

पीपलसानवी

यह भी पढ़ें:-

हम हैं | Ghazal Hum Hain

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *