Udashi Bhari Shayari | प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया
प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया
( Pyar Me Azam Kab Wo Wafa De Gaya )
प्यार में आज़म कब वो वफ़ा दें गया
इस क़दर प्यार में वो दग़ा दें गया
प्यार के ही बढ़ाएं क़दम थें जिसनें
हर क़दम पे वो अब फ़ासिला दें गया
तोड़कर वो सगाई उल्फ़त का रिश्ता
आंखों में अश्कों का सिलसिला दें गया
प्यार के हर वादे कल उसनें तोड़कर
वो ग़मों की दिल में ही सदा दें गया
दें गया वो दग़ा के जफ़ा के कांटे
फ़ूल कब वो मुझे बावफ़ा दें गया
जख़्म आज़म भरेगा नहीं जो कभी
प्यार करने का ऐसा सिला दें गया
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )