Hindi poem on time| व़क्त तन्हा यहां मेरा कटता नहीं
व़क्त तन्हा यहां मेरा कटता नहीं
( Waqt tanha yahan mera katata nahin )
व़क्त तन्हा यहां मेरा कटता नहीं!
जिंदगी में हंसी कोई लम्हा नहीं
सिलसिला फ़िर न होता मनाने का ही
वो अगर मुझसे नाराज़ होता नहीं
टूट गया है जुड़ने से पहले ही रिश्ता
जुड़ा कोई उससे मेरा रिश्ता नहीं
दोस्ती मैं उससे फ़िर नहीं तोड़ता
तल्ख़ बातें अगर वो जो कहता नहीं
भूल गया वो मुझे जाकर परदेश में
दोस्त कोई भी ख़त उसका आया नहीं
हर कोई भूल जाता ग़म सभी अपनें ही
एक मेरा है जो जख़्म भरता नहीं
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )