Khushiyon se hi gareeb hoon main

खुशियों से ही गरीब हूं मैं | Ghazal

खुशियों से ही गरीब हूं मैं

( Khushiyon se hi gareeb hoon main )

 

 

जीस्त में नहीं इतना खुशनसीब  हूँ मैं तो
इस जहां में खुशियों से ही ग़रीब हूँ मैं तो

 

इसलिए  सभी होते है ख़िलाफ़ मेरे ही
सबसे बोल देता हूँ सच अजीब हूँ मैं तो

 

मार मत न मुझको तू बेवज़ह ख़ुदा से डर
यार मेरे तेरा सच्चा हबीब हूँ मैं तो

 

तू क़बूल कर लें अब फ़ूल प्यार का मेरे
ए सनम नहीं कोई भी रकीब हूँ मैं तो

 

यूँ इल्जाम झूठा तू मत लगा ख़ुदा से डर
ए लोगों बड़ा ही दिल से नजीब हूँ मैं तो

 

वो दग़ा वफ़ाओ में दें जाता है मुझको ही
ए आज़म यहां जिसके ही क़रीब हूँ मैं तो

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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