वो लाजवाब है

वो लाजवाब है | Ghazal Wo Lajawab Hai

वो लाजवाब है

( Wo Lajawab Hai )

जहाने – हुस्न में उस जैसा है शबाब नहीं
वो लाजवाब है उसका कोई जवाब नहीं

पसंद करते हैं घर के तमाम लोग उसे
वो सिर्फ़ मेरा अकेले का इंतिखाब नहीं

हाँ एक दूजे से मिलते हैं बेतकल्लुफ़ हम
हमारे बीच रहा है कभी हिजाब नहीं

जिये हमेशा ही इक दूसरे की खातिर हम
रहा अधूरा हमारा कोई भी ख़्वाब नहीं

मैं उस हसीन की आँखों के जाम पीता हूँ
पिलाओ दोस्त मुझे आरज़ी शराब नहीं

मदद ग़रीब की कर देता है कोई न कोई
ज़माना दोस्तो इतना अभी खराब नहीं

क़ुबूल करता हूँ इस बात को मैं ऐ सागर
तेरे बग़ैर मैं हो पाता कामयाब नहीं

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

यह भी पढ़ें:-

कहानी प्यार की | Kahani Pyar Ki

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *