Poem Hawaon Mein aa Gaye
Poem Hawaon Mein aa Gaye

हवाओं में आ गए

( Hawaon mein aa gaye )

 

शोहरत मिली तो आज हवाओं में आ गए
रिश्ते भुला के ख़ास ख़लाओं में आ गए।

हमको नहीं मालूम हुआ कब ये वाकया
कब ख़्वाब से सरकार दुआओं में आ गए।

फ़िरऔन मेरा इश्क़ बनाने लगा उन्हें
बुत के सनम वो आज़ ख़ुदाओं में आ गए।

यूं तो ख़फा ताउम्र रहे अब ये मोज़ज़ा
हम आज कल दिन रात सदाओं में आ गए।

रंजिश भुला के साथ रक़ीबों का जब मिला।
फिर यूं हुआ दिलशाद फ़जाओं में आ गए।

है बेहिसी का दौर इलाही ये कौन सा
जितने ज़हर थे आज दवाओं में आ गए।

करते नयन हैं क़त्ल मिरे सुन के बात ये
हम दिलकशी की शोख़ अदाओं में आ गए।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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1 COMMENT

  1. यूं तो ख़फा ताउम्र रहे अब ये मोज़ज़ा
    हम आज कल दिन रात सदाओं में आ गए।
    बेहतरीन गज़ल। गज़लकारा को बहुत बहुत शुभकामनाएं

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