Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा | Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा

( Govardhan Puja ) 

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गोवर्धन पूजा को आधार बनाया
हे कृष्ण तेरी महिमा अपरंपार।

इंद्रदेव थे बड़े अभिमानी
पूजा सभी करते नर नारी।

अभिमान को चुर करने के लिए कृष्ण ने लीला रचाई
गोवर्धन पर्वत को पूजो यह बात गोकुल को समझाई।

कुपित हो इंद्रदेव बरसे कई दिन रात
गोकुल वासियों की रक्षा के खातिर।

गोवर्धन पर्वत उठाया एक उंगली पर
घमंड उतारा इंद्रदेव का दौड़ श्री कृष्ण चरणों में आए।

दीपावली के दूसरे दिन प्रतिपदा के दिन
पूजा होती घर घर बनते गोवर्धन भगवान।

अन्नकूट का भोग मिश्री माखन की खीर चढ़ाकर
सब को गोवर्धन पूजा का महत्व समझाया।

उसी दिन से मनाया जाने लगा यह पर्व
गोवर्धन पूजा से मिलता श्री कृष्ण का अपार प्रेम व आशीष।

Lata Sen

लता सेन

इंदौर ( मध्य प्रदेश )

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गोवर्धन पूजा के मर्म में,गऊ माता का मान सम्मान

गोवर्धन पूजा दिव्य इतिहास,
श्री कृष्ण लीला चमत्कार ।
बाएं कर तर्जनी गिरिराज उठा,
त्रिलोक वंदन जय जयकार ।
तदर्थ गोवर्धन पूजन श्री गणेश,
दीप मालिका अग्र दिवस आह्वान ।
गोवर्धन पूजा के मर्म में, गऊ माता का मान सम्मान ।।

पौराणिक कथा देव इन्द्र प्रकोप,
ब्रज क्षेत्र अति वृष्टि शिकार ।
असीम कृपा कृष्ण कन्हाई,
गमन अलौकिक पथ विहार ।
गो गोप गोपियों सह जीव जंतु,
सानिध्य गोवर्धन गिरि चरण स्थान ।
गोवर्धन पूजा के मर्म में, गऊ माता का मान सम्मान ।।

आधुनिक काल पुनः प्रयास,
गऊ स्तुति आदर प्रतिष्ठा ।
उरस्थ शोभित देवलोक आभा,
धर्म कर्म पटल अथाह निष्ठा ।
गो सेवा रक्षा महापुण्य काज,
प्राप्य सुख समृद्धि वैभव वरदान ।
गोवर्धन पूजा के मर्म में, गऊ माता का मान सम्मान ।।

अन्न कूट अनूप परंपरा,
गोवर्धन पूजा अंतर्संबंध ।
छप्पन भोग श्री कृष्ण मुरारी,
शुभ मंगल अथाह उपबंध ।
दृढ़ संकल्प पुनीत पावन पर्व,
सदा रक्षित साक्षात लक्ष्मी गौ स्वाभिमान ।
गोवर्धन पूजा के मर्म में, गऊ माता का मान सम्मान ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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