सुनामी

( Tsunami ) 

 

किसी दिन विशेष पर
आ जाती है सुनामी शुभ कामनाओं की
उस दिन के गुजरते ही
मर जाती हैं भावनाएं सारी कामनाओं की
रह जाता है शेष शून्य रोज की तरह

जल जाते हैं दीए हजारों हर चौखट पर
बस जल नही पाता दीप एक
हृदय मे प्रेम और मानवता का
दिखावेपन की होडबाजी मे
भुला देते हैं लोग स्वयं के ही सत्य को

बदलाव लाने की चाहत सभी मे है
स्वयं के बदलाव को प्रतीक्षा मे रखते हैं
बातें भर ही होती हैं आदर्शता की
मलीनता अपने ही दिल मे रखते हैं

आज नही कल मे गुजर जाती है उम्र सारी
न कल कभी आता है
न आज की शुरुआत होती है
उभरती पीढियां बढ़ती हैं यही सीखते हुए
कल का निर्माण भी आज ही तो होता है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

तुम्हारी तरह | Tumhari Tarah

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here