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गुरु पूर्णिमा
( Guru purnima )
सनातन धर्म में इसे एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता,
जो आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता।
इस दिन गुरुदेव महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था,
जिनको वेदों और पुराणों का रचियता कहा जाता।।
यें अलौकिक-शक्ति से सम्पन्न और थें त्रिकालदर्शी,
माॅं का नाम सत्यवती पिता का नाम पाराशर ऋषि।
जिनके थें चार शिष्य पैल जैमिन वैशम्पायन सुमंतु,
१८ महापुराणों व ब्रह्मसूत्र का प्रणयन किऍं महर्षि।।
वह थे महान-कवि लेखक रचियता तत्वदर्शी ज्ञानी,
लिखा है उन्होंने महान-ग्रंथ महाभारत की कहानी।
उन्होंने शाश्वत वेद को चार भागों में संगठित किया,
इनसे जुड़ी कई सारी बातें जो है बहुत वर्षों पुरानी।।
यें गुरुपूर्णिमा त्यौंहार महर्षि वेदव्यास को समर्पित,
इसदिन भगवन विष्णु की पूजा होती व रखतें व्रत।
सत्यनारायण कथा व चन्द्र पूजन का भी है विधान,
दानपुण्य ज्योतिषि उपाय करके लेतें है चरणामृत।।
इसरोज़ विशेषकर गुरुजनों की पूजा भी की जाती,
चंद्र-दोष मिटाने हेतु भोलेनाथ की आराधना होती।
पवित्र नदी में स्नान ध्यान से होती पुण्यफल प्राप्ति,
ग़रीब ब्राह्मणों को दान देतें अन्न धन वस्त्र व मोती।