Bharat ki Dharti
Bharat ki Dharti

भारत की धरती

( Bharat ki dharti ) 

 

मेरी धरती माँ प्यारी है
भारत की ख़ुशबू फ़ैली है

ऐसा न कहीं देश मिलेगा
गंगा जमना जो मिलती है

उगते है गुल उगती सरसों
धरती माँ देखो ऐसी है

सैनिक करे है हिफाज़त
कर सकता न अदू ज़ख्मी है

नफ़रत के दुश्मन ख़त्म हुई
उल्फ़त की बारिश बरसी है

उल्फ़त के फूलों से आज़म
भारत की धरती महकी है

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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