Guru Ji

गुरूजी की महिमा | Guruji ki Mahima

गुरूजी की महिमा

( Guruji ki Mahima )

आधी जीवन बीत गई
यूं हीं कविता लिखने में
फिर भी इच्छा होती है
जीवन बीता देता कुछ सीखने में
यही है मेरा अरमान ।

गुरूदेव जी के असीम निर्मल भाव से
मैंने कुछ जान पाया
जिसने कहा प्रार्थी बनो
जिससे मिलेगा जग में सम्मान
ओमप्रकाश जी के चरणों में
मेरा चारो धाम है
जिसके ऊँ में जग समाहित
अपने प्रकाश से किया प्रकाशित ।

देवों के देव महादेव
उससे बड़ा मेरे गुरूदेव
क्योंकि शिव ने जन्म देकर तम में छोड़ दिया
गुरू ने ज्ञान देकर तम को तोड़ दिया
यही है सच्चे गुरू की पहचान ।

मुझ जैसे कमजोर बालक को
जिसने दिया बुद्धि
जहां जहां पर गलती पाई
कर दिए वहां शुद्धि ।

सौभाग्य प्राप्त हुआ मुझे
जो आया गुरूजी के शरण में
मेरा सारा सम्मान समर्पित है
गुरूदेव जी के चरण में ।

मैं थक जाऊं पर मन थकता नहीं
गुरूजी के आशीष बिना दिन कटता नहीं
मुझ जैसे अबोध को बोध नहीं
करने को गुरूदेव जी का बखान ।

Ravindra Kumar Roshan

रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम”
भवानीपुर, सिहेंश्वर, मधेपुरा , बिहार

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