मैं तेरा हो जाऊं
मैं तेरा हो जाऊं

मैं तेरा हो जाऊं

( Main Tera Ho Jaoon )

 

तेरी बाहों में सर रख कर सो जाऊँ;

तेरे हंसी खाबों में फिर से खो जाऊँ ।

 

हम भी बड़े बेताब हैं तेरे दिल में रहने को,

तू प्यार से बुला मुझे,मैं अंदर तभी तो आऊँ ।

 

तुझे हक़ से दुनिया वालों से माँग ही लूँगा,

बस, पहले ज़माने की नजर में कुछ हो जाऊँ।

 

हर वक्त मेरे ही ख़्याल पैदा हो तेरे ज़हनो-दिल में,

तेरी यादों में अहसासों के कुछ मीठे बीज बो जाऊँ ।

 

अब तो दिन-रात यही फ़रियाद करता है दीप,

ता क़यामत तू मेरी हो जाए ,मैं तेरा हो जाऊँ।

 

 

कवि : संदीप कटारिया

(करनाल ,हरियाणा)

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