Maa pe kavita
Maa pe kavita

माँ

( Maa )

 

कद्र करो उस मां की
नौ महीनें तक रखा
अपने गर्भ मे
उम्र भर रखा जिसने
ममता कीगोद में
ताउम्र रखा
अपने दिल में
तेरी ये दौलत
तेरी ये शोहरत
तेरे यह कीमती
सारे लिबास
जिसमें ना हो मां का
आशीष और आशीर्वाद
मां बिना सारे
बेगाने बेजार
खुशियां यह रोनके
सब उसी की तो है
मुस्कराहट पर तेरे
ले बलईयाँ बार-बार
अपना यह जीवन
करती न्योछावर
तुझ पर हर बार
गुस्सा और गाली
है उसका प्यार
देती दुआएं सौ सौ बार
हर सांस को अपनी
तुझपे दिया वार
आंखों से छलके
प्यार ही प्यार
रहती ना ख्वाहिश
पाने की तुझसे
सोना ना चांदी
हीरे ना मोती
ना महल दूमाले
बस चाहे थोड़ा
सम्मान इज्जत
दो मीठे बोल
और तेरा प्यार

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

मां | Kavita maa

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here