हाँ की दावत | Haan ki Dawat

हाँ की दावत

( Han ki Dawat )

‘हाँ’ की दावत में कभी आप सब गये हैं क्या,
उसकी लज्जत से वाक़िफ आप हुए हैं क्या,

आजकल हाँ की दावत का बड़ा ही चलन है,
तभी तक ही तो रिश्तों का रिश्ते से मिलन है,

ख़ुशी ख़ुशी आ जाएंगे सब ‘हाँ’ की दावत में,
वरना झूठे मुँह नहीं पुछेंगे ज़हनी अदावत में,

हाँ की दावत में कभी “ना” को नहीं परोसना,
गर ऐसा किया तो सुनने मिलेगा बस कोसना,

हाँ की मिठी चाशनी ही उनकी ख़्वाहिश होती,
“ना” की कड़वाहट ज़ब्त-ए-आज़माइश होती,

हाँ में हाँ मिलाइए तबतक ये दुनिया आपकी है,
इक ना बोलिएगा लगेगा बहुत बड़ा पाप की है,

Aash Hamd

आश हम्द

पटना ( बिहार )

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