Hairan Hoon

हैरान हूं

( Hairan hoon ) 

 

हो गई हैरान हूं इस जिंदगी को देखकर
दोस्ती को देखकर इस दुश्मनी को देखकर।

आ गए वो अंजुमन में साथ लेकर रौनकें
हो गया मालूम सबको रौशनी को देखकर।

रोज़ होते वो ख़फ़ा अबके मनाया भी नहीं
दिल भरा इस बार उनकी बेरुख़ी को देखकर।

इक फ़कत मैं ही नहीं मद्दा यहां पर जानिए
शहर पूरा है फ़िदा दिलकश परी को देखकर।

अब किताबें जिंदगी में हैं बचे सफ़हात कुछ
मौत ठहरी कब भला किस आदमी को देखकर।

जीतने का हो जुनूं तो प्यास को कुछ यूं बढ़ा
ख़ुद समंदर पास आए तिश्नगी को देखकर।

अब सताने में नयन आने लगा उनको मज़ा
दिल परीशां हो गया इस दिल्लगी को देखकर।

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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