हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में

हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में

हाँ व़क्त कटता तेरे इंतजार में

 

 

हाँ व़क्त कटता तेरे  इंतजार में!

तू लौट आ दिल मेरा बेक़रार में

 

इस बार आऊंगा मैं मिलनें को तुझे

छुटटी है दोस्त मेरी इतवार में

 

वो तल्ख़ बात करता रोज़ है़ मगर

लहज़ा नहीं उल्फ़त का मेरे यार में

 

ख़ुशबू  कैसे महकेगी प्यार की भला

मुरझा गये है गुल सब इस बहार में

 

निकला नहीं कई से जो घर से बाहर

बैठा हूँ उस हंसी के ही दीदार में

 

दिल इसलिए नहीं लगता कहीं मेरा

दिल डूबा इक हंसी के आज़म प्यार में

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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ये है कैसी मजबूरी है

 

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