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तुम ही मेरी ह़सरत हो | Hasrat Shayari

तुम ही मेरी ह़सरत हो

( Tum hi Meri Hasrat Ho )

तुम ही मेरी ह़सरत हो।
तुम ही मेरी चाहत हो।

तुम ही हो कशमीर मिरा।
तुम ही मेरी जन्नत हो।

तुम ही हो मुस्कान मिरी।
तुम ही मेरी नख़वत हो।

तुम को कैसे भूलूं मैं।
तुम ही दिल की राह़त हो।

तुम ही हो गुलशन की छब।
तुम ही गुल की निकहत हो।

तुम ही आंखों का सपना।
तुम ही मेरी उल्फ़त हो।

तुम ही रोनक़ हो घर की।
तुम ही ज़ेब-ओ-ज़ीनत हो।

तुम बिन क्या है कुछ भी नहीं।
तुम ही ऐश-ओ-इ़शरत हो।

तुम ही दिल का चैन फ़राज़।
तुम ही रुख़ की नुदरत हो।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़

पीपलसानवी

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