Hi re Tamatar
Hi re Tamatar

हाय रे टमाटर

( Hi re tamatar )

 

हाय रे टमाटर तेरा कैसा कमाल
पूछ रहा हर कोई आज तेरा हाल…।

आलू का साथ छोड़ा
बैगन का दिल तोड़ा
कोहड़ा से बंद हुई तेरी बोल-चाल…
हाय रे टमाटर ०…

परवल को पीछे छोड़ा
गोभी से नाता तोड़ा
अदरक को लेकर तू करे खूब बवाल….
हाय रे टमाटर ०…

तेरे बिना सूनी हुई घर की रसोई
तेरा भाव पूछे आज सब कोई
दिन-रात तेरा ही आए सबको ख्याल …
हाय रे टमाटर ०….

पहले दस में बिकता था
हर जगह दिखता था
इतनी जल्दी रंग फीका कैसे हुआ लाल.…
हाय रे टमाटर तेरा कैसा कमाल..।

 

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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