अब ख़ुद ही निखरना है | Hindi kavita on motivation
अब ख़ुद ही निखरना है
( Ab khud hi nikharna hai )
अपनें आपको तपाकर अब ख़ुद ही निखरना है,
उलझनों को सुलझाकर आगे बढ़ते ही रहना है।
राह भले ही मुश्किलों की हो पर चलतें जाना है,
अब यें कीमती वक्त स्वयं पर ही ख़र्च करना है।।
साहस एवं हिम्मत से हर परिस्थिति से लड़ना है,
पोखर तालाब या दरिया पार करतें ही जाना है।
अपनें लक्ष्य प्राप्ति के खातिर चलतें ही रहना है,
ठोकर खाकर गिर जाए तो वापस उठ जाना है।।
यें मुश्किल का दौर शनै-शनै निकल ही जाना है,
बाधाऍं ख़त्म होकर जीवन में प्रसन्नता आना है।
आसमान छूने के लिए काली रातों से जूझना है,
कभी ग़म व ऑंसुओं की घूॅंट को पीते जाना है।।
मानवीय जीवन में दुःख एवं सुख आतें रहना है,
रास्तों में कही फ़ूल तों कही काॅंटे ही मिलना है।
औरों से नही ख़ुद अपनें आप से लड़ते रहना है,
हमें विजेता बनने के लिए ही कष्ट तो सहना है।।
हम इन्सान है एवं इन्सानों की जैसे हमें रहना है,
पाॅंव ज़मीं पर ही रखना बस चलतें ही रहना है।
कौशल अपना बढ़ाकर ख़ुद को ही निखारना है,
अब यें कीमती वक्त स्वयं पर ही ख़र्च करना है।।