जिंदगी | Hindi Kavita Zindagi par
जिंदगी
( Zindagi )
जिंदगी एक शोरूम की तरह है
जहां खरीदते हैं लोग वस्त्र
अपने मनोभाव की तरह
जिसमें झलकता है उनका अंतर्मन
जो पता चलते हैं उसके कपड़ों को देखकर।
कोई छोटी सोच के साथ छोटे कपड़ों में
किसी का सादगी भरा लिबास
कोई चेहरे पर चेहरा लिए
किसी का जीवन एक खुली किताब
निकले शब्द की कहां थी फ़िक्र किसी को
जो मिला था ईश्वर से एक अमूल्य उपहार
देख रहा था इन” नवीन” दौर के “नवीन” रियायतो को
था चुप क्योंकि सबकी अपनी जिंदगी थी
नवीन मद्धेशिया
गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )