हिंदी से हिंद का परचम

( Hindi se Hind ka Parcham ) 

 

पढ़ूं हिंदी ,लिखूं हिंदी, मेरी पहचान है हिंदी।
है माता तुल्य जन जन की, हमारी शान है हिंदी ।।

दिए हिंदी नें हमको सूर ,तुलसी कबीर औ मीरा ।
सुमित्रानंदन भारतेंदु, प्रेमचंद सा दिया हीरा ।।
सतत उत्थान हो हिंदी ,सदा सम्मान हो हिंदी।

राजभाषा मेरी हिंदी, हिंदी से हिंद का परचम ।
श्वास तन में, नदी में नीर सी बसती रही हरदम ।।
हमारी संस्कृति का मान ,सुरीली तान है हिंदी ।

हिंदी से भावना प्रगटे,हिंदी से लिखनी चलती ।
थाम कर हिंदी का दामन, एकता की जड़े सिंचती।।
यही है बंदगी मेरी ,विश्व विख्यात हो हिंदी ।

 

श्रीमती अनुराधा गर्ग ‘ दीप्ति ‘

जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

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