तुम भी मुझसे
तुम भी मुझसे

तुम भी मुझसे उतने ही दूर हो

( Tum Bhi Mujhse Utne Hi Door Ho )

 

तुम भी मुझसे

उतने ही दूर हो

जितना आकाश

धरती से दूर है

 

जैसे दुर्लभ है

धरती और आकाश का

एक हो जाना

वैसे ही हम दोनों का

मिल पाना दुसाध्य है

 

दूर से ही

तुम्हें देखना

और तृप्ति से

कल्पना के आलिंगन में लेकर

अतृप्त रह जाना

आह! दुखदायी है…..!

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

यह भी पढ़ें :

 

kia ho gai halat -क्या हो गई हालात

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here