Hindi ke Utsang Mein

हिंदी के उत्संग में

( Hindi ke utsang mein )

 

हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग

स्वर व्यंजन सरस बोधि,
शब्द निर्माण कला अनुपम ।
अर्थ आभा हर्षल अमिय,
प्रेरणा पुंज शिक्षण अधिगम ।
अथाह माधुर्य संवाद पथ,
संबंध श्रृंगार अपनत्व कंग ।
हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।।

वसुधैव कुटुंबकम् अंतरनाद,
स्नेह प्रेम अभिव्यंजना ।
नीति रीति भाषिक प्रभा,
नीरस काल रूप रंजना ।
इंद्रधनुष मय प्रस्तुतिकरण,
अवबोधन सदृश पावन मलंग ।
हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।।

सर्व धर्म समभाव छटा,
उरस्थ समग्र संस्कृति सम्मान।
काव्य रस सरित प्रवाह,
गद्य पद्य अनुपमा आह्वान।
संज्ञा सर्वनाम विशेषण कारक संग
व्याकरण सुशोभना अंग प्रत्यंग ।
हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।।

ज्ञान विज्ञान शोध अवबोध,
कृत्रिम बुद्धिमता आत्मसात ।
नवाचार प्रौद्योगिकी तरंगिणी,
सौम्य मृदुल भाव परिजात ।
अंतर्मन शुभ मंगल आकांक्षा,
हिंदी संग विश्व संपर्क भाषा उमंग ।
हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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