Hindi ki Sthiti

हिन्दी की स्थिति | Hindi ki Sthiti

अंग्रेजों के शासनकाल में न केवल भारत की राजनीतिक स्थिति बल्कि भाषा की स्थिति पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा यह तब और अधिक हो गया जब लोड मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारत में स्वीकृति दे दी गई ।

लोड मैकाले ने ऐसे ऐसे तर्क दिए अंग्रेजी भाषा के परिपेक्ष में की अंग्रेजी को सर्वोच्च बना दिया गया और सरकारी कामकाज में भी अंग्रेजी भाषा का बोलबाला हो गया न केवल सरकारी कामकाज में बल्कि माध्यमिक शिक्षा पाठ्यक्रम का निर्माण इस प्रकार किया गया जिसमें केवल अंग्रेजी पर बल दिया गया और हिंदी भाषा को जर्जर बना दिया।

भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां बहुत अत्यधिक विभिन्नताएं पाई जाती है और इस विभिन्नता के चक्र में भी राजनीतिक मुद्दों द्वारा हिंदी को खूब फसाया गया ।

हिन्दी भारतीय संविधान में एक राज्य भाषा है भारत के हर राज्य में विभिन्न भाषाओं के कारण हिन्दी को‌ राष्ट्रीय भाषा नहीं बनाया गया भारत की कोई भी राष्ट्र भाषा नहीं है 1953 में आंध्र प्रदेश भाषा तौर पर गठित होने वाला प्रथम राज्य बना।

हालांकि हिन्दी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है फिर भी हिन्दी का अस्तित्व केवल राज्य तक सीमित है
जब तक केंद्र विश्वविद्यालयों में अनुसंधान, चिकित्सा शिक्षा , तकनीकी शिक्षा, कानूनी शिक्षा आदि हिन्दी में उपलब्ध नहीं होगी तब तक हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सकता है।

आज यदि कोई छात्र हिन्दी विषय को छोड़ कर हिन्दी भाषा द्वारा किसी अन्य विषय में शोध करना चाहता है तो न तो हिन्दी में उच्च कोटि की किताबें उपलब्ध है और न ही हिंदी भाषा द्वारा शोध शिक्षक।

हालांकि भारतीय सरकार हिन्दी को बढ़ावा देने में कार्यरत हैं और‌ हर सम्भव प्रयास कर रही है 2020 कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 5 वीं कक्षा तक बालक कि शिक्षा हिन्दी अथवा अपनी क्षेत्रीय भाषा में पूरी कराने की सिफारिश भी की गई है।

Shiwani Swami

 शिवानी स्वामी

गाजियाबाद, ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

शिद्दत | Shiddat

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *