माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
तेरी गोद, तेरी लोरियां,
बहुत याद आती है,
बरसों बीत गए हैं माँ,
सुकून की नींद ना आती है।
मेरी चोट पर आंसू तेरे बहते,
वो बाहें याद आती है,
तेरा आंचल याद आता है माँ,
जब आंखें नम हो जाती हैं।
गिरने से पहले संभाल लेती मुझको,
वो परवाह याद आती है,
तेरा साथ याद आता है माँ,
जब उलझनें बढ़ती जाती है।
तेरा आशीर्वाद साथ है मेरे,
ये सोचकर हिम्मत बढ़ जाती है,
लेकिन
“माँ” नाम से किसे पुकारू माँ,
घर की रौनक “माँ” शब्द से ही आती है।
पूजा राकेश जोशी
बीकानेर, राजस्थान।
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