Hindi poem on gopasthami

गोपाष्टमी | Hindi poem on gopasthami

गोपाष्टमी

( Gopashtami : Geet )

 

गौमाता  को  जीने  दो

दूध की नदियां बहने दो

राष्ट्र उत्थान होने को है

इनका संरक्षण होने दो

 

जिसे घर में गौ पाली जाती

वो धाम अभय हो जाता है

साक्षात रूप में विष्णु को

 गोलोकधाम को पाता है

 

इनके निवास से गोकुल का

सदा सुख मानव पाता

दुर्गा माता के नौ रूपों में

दो रूप गाय का आता

 

ये मनोकामना पूरी करती

और कामधेनु कहलाती है

जिस जंगल में चरने जाए

वो गोचर भूमि हो जाती है

 

गौ सेवा के कारण श्री कृष्ण

गोविंद से गोपाल बन जाता

लोहार्गल में जल गोमुख से

पुष्कर गौ घाट से जल आता

 

जाने कितनी ही व्याधि में

गोमूत्र पिलाया जाता है

विषधर के काट निशाने पर

गोबर लेप लगाया जाता है

 

देवी की जोत जलाने में

गोबर की थेप बनाते हैं

घर में सुख समृद्धि आती

सारे संताप मिट जाते हैं

 

गायों की सेवा करने से

ग्रह नक्षत्र अनुकूल रहे

भाग्यशाली नर हो जाये

पाप नष्ट सारे समूल रहे

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

सच का पता आसान नहीं है | Hindi poetry

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *