बह चली बसंती वात री | Holi ki Kavita Hindi Mein
बह चली बसंती वात री
( Bah chali basanti wat ri )
बह चली बसंती वात री।
मह मह महक उठी सब वादी
खिल उठी चांदनी रात री।
सब रंग-रंग में रंग उठे
भर अंग अंग में रंग उठे
रग रग में रंग लिए सबने
उड़ उठा गगन में फाग री।
हो होकर हो-ली होली में
प्रिय प्यार लुटाते टोली में
मैं प्रेम रंग में रंग उठी
चल पड़ी प्रिय के साथ री।
ये लाल गुलाबी रंग हरे
कर दे जीवन को हरे-भरे
जीवन खुशियों से भर जाए
लेके हाथों में हाथ री।
आओ कुछ मीठा हो जाए
अपनेपन में हम खो जाए
बजे तान,तन- मन में तक- धिन
गा गाकर झूमे गात री।
हर दिन हो होली का उमंग
चढ़ जाए सारे प्रेम रंग
जल जाए जीवन की चिंता
हो जाए तन मन साफ री।
जीवन के रंग पर रंग चढ़े
सबके मन में सौहार्द बढ़े
प्रेम रंग चढ़ जाए इते कि
मिट जाए मन की घात री।