हृदय में जो निशानी है
हृदय में जो निशानी है
दिखाता प्रेम की तुमको हृदय में जो निशानी है ।
कभी लाओ उसे भी पास जिससे ये कहानी है ।।
अधूरे स्वप्न ये मेरे मुझे इतना सताते अब ।
अधर कुछ कह नहीं पाते बहाते नैन पानी है ।।
अकेले ही पडा रोना मुझे तो इश्क़ में उनके ।
हुआ चर्चा अभी जिनका हमारी आज रानी है ।।
नसीबों की कहानी थी नहीं इतिहास बन पाई ।
यहाँ जो है ख़बर तुमको यही मेरी जुबानी है ।।
बनाना था जिसे दुल्हन वही तो गैर हो बैठी ।
मगर दिल आज कहता है उसे देवी बनानी है।।
कभी मशहूर थी वो भी हमारे इश्क़ में पड़कर ।
लिखाकर नाम जो उसका बनी अब खानदानी है ।।
शरीफ़ो का नही है काम सुन लो इश्क़ का करना ।
लुटी इसमें सदा इज्ज़त कहावत भी पुरानी है ।।
बडे ही नाम वाले थे प्रखर का प्रेम जो लूटे ।
सुना महबूब से उसकी उसे शादी रचानी है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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