हमनवा | Humnava par kavita
हमनवा
( Humnava )
तुम प्रेरणा हो मेरी
मैं संगिनी तुम्हारी
तुम प्रियवर हो मेरे
मैं प्रियतमा तुम्हारी
तुम कविता हो मेरी
मैं कलम तुम्हारी
तुम श्रंगार हो मेरे
मैं संगिनी तुम्हारी
तुम जीवन हो मेरे
मैं धड़कन तुम्हारी
तुम प्राणश्वर हो मेरे
मैं दामिनी तुम्हारी
तुम मनमोहन हो मेरे
मैं मोहिनी तुम्हारी
तुम संगीत हो मेरे
मैं रागिनी तुम्हारी
तुम अभिमान हो मेरे
मैं शोभना तुम्हारी
डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )
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दां साहित्य, का बहुत-बहुत धन्यवाद