
श्रीमती सरोजिनी नायडू
( Shrimati Sarojini Naidu )
बहुमूल्य हीरे के समान थी वह देश-दुनिया के लिए,
स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी के रुप में ढ़ेरों कार्य किए।
सबसे उपर आता है जिनका इन महिलाओं में नाम,
ऐसी ही आदर्श है वह भारतीय महिलाओं के लिए।।
१२ साल की आयु में जो मैट्रिक परीक्षा टाॅप किया,
१३०० पदो की “झील की रानी’ कविता रच दिया।
अच्छी छात्रा के साथ अनेंक भाषाओं का ज्ञान रहा,
आगे चलकर केसर ए हिंद उपाधि से नवाजा गया।।
सरोजिनी नायडू था उस महान शख्शियत का नाम,
जो स्त्रियों में आत्मविश्वास जगाने का किया काम।
भारत कोकिला से भी जानता है उनको हिन्दुस्तान,
जो कांग्रेस अध्यक्ष व नेता बनकर ढ़ेरों कार्य काम।।
आठ भाई-बहनों में सरोजिनी जी थी सभी से बड़ी,
बुद्धि में कुशाग्र आप मद्रास-महाविद्यालय में पढ़ी।
निराशा और भय को जिन्होंने कभी-भी नही जाना,
किंग्ज काॅलेज लंदन गर्टन काॅलेज कैंब्रिज में पढ़ी।।
गांधीजी के संग चलने वाले स्वयं सेवकों में ये एक,
सुंदर शिक्षाप्रद कविताएं लिखी आपने यह अनेंक।
महिला होने पर भी साहसी, निर्भिकता की प्रतीक,
उत्तरप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनी-नेक।।
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