हमने पढने पर कब रोक लगाई है
हमने पढने पर कब रोक लगाई है
हमने पढने पर कब रोक लगाई है।
कपड़े सही कर लो इसीलिए तो ड्रेस लगाई है।।
मैं नहीं कहता कि पश्चिम की कल्चर छोड़ दे।
बस जरा खुले तन पर तू ओड ले।।
आपत्ति नहीं है हमें तेरे जींस पर ,बस तू उसको फुल करा ले।
हॉफ ही क्यों पहनती है तू इस भाई के लिए उसको फुल करा ले।।
बेशक ओढ ले तू पश्चिम के कल्चर की चादर।
पर छोड़ ना तू अपनी कल्चर की चादर।।
मैं भी सुन सकता हूं तुझको अगर कोई , मेरी कहकर बोले।
पर सुनना न चाहूं मैं अगर कोई, तेरे कपड़ों को लेकर बोली बोले।।
?
लेखक:- अनुराग मिश्रा
Bhai mai apki is bat se sahmat nhi hun hame apni kapde nhi balki ap loge apni soch aur dekhne ka andaj badliye duniya badal jayegi hame itna kahne ki jarurat nhi padegi