रण में केशव आ जाओ
रण में केशव आ जाओ

रण में केशव आ जाओ

( Ran mein keshav aa jao )

 

चक्र सुदर्शन धारण करके
अब रण में केशब आ जाओ
जग सारा लड़ रहा अरि से
विजय पताका जग फहरावो

 

साहस संबल भरके उर में
जन जन का कल्याण करो
सब  को  जीवन  देने वाले
माधव  सबके  कष्ट  हरो

 

हर आंगन खुशहाली से
महका दो कोना कोना
गीता का संदेश प्रभु दो
मानव  धैर्य  नहीं खोना

 

विपदा तूफां आंधी तो
आते और चले जाते हैं
संघर्षों  में  पलने वाले
नव प्रभात को पाते हैं

    ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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