Itni si kami hai

इतनी सी कमीं है | Itni si kami hai

इतनी सी कमीं है

( Itni si kami hai )

 

पत्थर  सा  नही  हूँ  मैं मुझमे भी नमीं हैं।
बस दर्द बया कर देता हूँ इतनी सी कमी हैं।

 

तुमने का समझ लिया मुझको मैं जान न पाया।
हैं प्यार भरा दिल मेरा जिसपर मोंम जमीं हैं।

 

संगेमरमर नही बना पर, खालिस ईटों से जुड़ा हूँ मैं।
जो बारिश को समा ले खुद में,उस मिट्टी से बना हूँ मैं।

 

राम श्याम की भक्ति भाव है,फिर भी पाप तनिक तो है।
आँखों मे बस झाँक के देखो, शायद कुछ तुमसा हूँ मैं।

 

शब्दों को जो जोड़ के रखे,शब्द सारथी बना हूँ मैं।
घायल मन के रक्त बिन्दूओं सा सक्षिप्त रहा हूँ मै।

 

सुन हुंकार हृदय की पीड़ा, शब्दों में गढ़ देता हूँ।
बस  दर्द  बया  कर देता हूँ, इतनी ही कमी हैं।

 

 

✍?

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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