जहर पीना सीखो
एक शहर में एक रोहन नाम का नवयुवक रहता था, जो एक आईटी कंपनी में काम करता था। उसका जीवन बहुत ही व्यस्त था, लेकिन उसके सहकर्मी और पड़ोसी रोहित के साथ उसके संबंध अच्छे नहीं थे। रोहित हमेशा रोहन को परेशान करता था और उसके काम में बाधा डालता था।
एक दिन रोहन के एक सहकर्मी रोहित ने उसके साथ बहुत अपमानजनक व्यवहार किया, जिससे रोहन बहुत आहत हुआ। उसने अपने ऑफिस के एक वरिष्ठ अधिकारी राजकुमार जी से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताया।
“सर, मेरा सहकर्मी रोहित मुझे बहुत परेशान करता है। वह मुझे चिढ़ाता है, बात-बात पर गाली गलौच करता है, मेरे काम में बाधा डालता है। कई बार मैं भी गुस्से में उसको भला बुरा कह देता हूँ। मैं क्या करूँ? कोई उपाय या सुझाव दीजिए।”
राजकुमार जी ने रोहन को समझाया और कहा, “रोहन, जहर पीना सीखो, जहर उगलना नहीं। उसकी बातों को नजरअंदाज करना सीखों। उस पर और उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान न दो।
आपने कहावत सुनी ही होगी- ‘एक चुप सौ को हराये।’ भगवान ने हमें दो कान इसीलिए दिए हैं ताकि हम बेमतलब की फिजूल बातों को… जो हमारे लिए नुकसानदेह साबित हों, उन्हें एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल सकें। जब आप उसकी बातों पर ध्यान देना बंद कर दोगे तो उसकी भी बदतमीजी कम होकर बन्द हो जायेगी।”
रोहन ने पूछा, “सर, आपने शुरुआत में कहा कि ‘जहर पीना सीखो, जहर उगलना नहीं’ इस कहावत का क्या अर्थ है?”
राजकुमार जी ने कहा, “इसका अर्थ भी यही है कि जब कोई आपको बुरा कहता है या आपको परेशान करता है, तो आप उसकी बातों को अपने दिल में न लें। उसे अनसुना कर दें और अपने काम में लगे रहें। लेकिन जब आप किसी को जवाब देते हैं, तो आप भी उसे बुरा कहें और गाली दें, यह जहर उगलना है।”
लेकिन रोहन ने राजकुमार जी की बात को अनसुना कर दिया और उसे लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं उसकी बातों का जवाब न दूँ? मैं क्या किसी से कम हूँ? अधिकारी महोदय गलत बोल रहे हैं। मुझे दब्बू बनाना चाहते हैं। ऐसा हरगिज़ न होगा। गलत बात का विरोध तो मुझे करना ही होगा। मैं कमजोर नहीं हूँ।
यह सोचकर रोहन ने अपने सहकर्मी ‘रोहित को जवाब देने, सबक सिखाने तथा खुद को निडर, किसी से कमतर नहीं हूँ’ यह साबित करने के लिए फेसबुक पर एक अपमानजनक पोस्ट की। सार्वजनिक रूप से की गई इस तरह की हरकत ने आग में घी डालने का काम किया। आगबबूला रोहित ने रोहन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिससे रोहन की नौकरी खतरे में पड़ गई।
इसके अलावा, रोहित ने रोहन के सोशल मीडिया अकाउंट पर एक अपमानजनक पोस्ट लिखा, जिससे रोहन की प्रतिष्ठा खतरे में पड़ गई। अब उसे डर लगने लगा था। इस अप्रत्याशित घटना के द्वारा रोहन ने अपने आप को बहुत परेशान और अकेला महसूस किया।
अब रोहन ने अपने अधिकारी राजकुमार जी की बात को याद किया और सोचा- राजकुमार जी ने सही कहा था कि जहर पीना सीखो, उगलना नहीं। मेरे जहर उगलने से ही ये दिक्कत हुई। रोहित की बातों को अनसुना करने में ही भलाई थी। अब उसे अपने जीवन को सुधारने के लिए कुछ करना चाहिए।
काफी सोच-विचार कर रोहन ने अपने सहकर्मी रोहित से ऑफिस में सबके सामने माफी मांगी और अपने व्यवहार को सुधारने का फैसला किया। इस तरह रोहन की नौकरी जाते-जाते बची।
इसके बाद, रोहन ने अपने जीवन में बहुत सारे बदलाव किए। उसने अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध बनाए और उसने अपने काम में बहुत मेहनत की। बेकार की, बेमतलब की बातों को उसने अनसुना करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे रोहित के अंदर भी उसका व्यवहार देखकर बदलाव आने लगा। उसने भी रोहन पर कमेंटबाजी करनी छोड़ दी। बाद में रोहन के रोहित के साथ भी अच्छे संबंध बन गए।
रोहन ने अपने अधिकारी राजकुमार जी की सलाह पर अमल करते हुए,अपने जीवन को सुधारने और एक नई दिशा में ले जाने का फैसला किया। इस तरह रोहन जहर पीना सीख गया था।
देखा जाए तो आज के परिपेक्ष्य में जहर पीना आना चाहिए। लोगों में धैर्य समाप्त हो गया है। तुरन्त ही लोग मारने-मरने पर उतारू हो जाते हैं। यह गलत है।
बदतमीजी पर जवाब न देना, खामोश रहना… कमजोरी की निशानी नहीं है, अपितु जो व्यक्ति सहनशील होगा, मजबूत होगा वही यह सब कर सकता है। कहा भी गया है- ‘थोथा चना बाजे घना’।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
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