जय जगदम्बे माँ | Jai Jagdamba Maa

जय जगदम्बे माँ

( Jai Jagdamba Maa )

अम्बे माँ जगदम्बे मइया, तेरी शक्ति अपार है।
मातु भवानी माँ कल्याणी, सुखी सकल संसार है।।

शक्ति स्वरूपा मातु शारदे, जग का सारा ज्ञान दो।
शैलपुत्री विघ्नविनाशिनी, मातु ब्रह्माणी मान दो।।
दुर्गे मइया बहु शुभकारी, आभा हृदय प्रसार है।
अम्बे माँ जगदम्बे मइया, माँ की शक्ति अपार है।।

करें नित्य उर से उपासना, बहुत निराली आप हो।
संकट गहरा है धरती पर, दूर सकल ही ताप हो।।
दुर्गे दुर्गति नाशिनि मैया, मन में बहुत बहार है।
अम्बे माँ जगदम्बे मइया, माँ की शक्ति अपार है।।

कात्यायनी हो फलदायिनी, तृण-तृण तेरा वास है।
पाप नाशिनी असुर नाशिनी, हृदय सदा ये दास है।।
सुख समृद्धि दो कष्टहारिणी, माँ रज से उद्धार है।
अम्बे माँ जगदम्बे मइया, माँ की शक्ति अपार है।।

जग कल्याणी मंगलकारी, सफल आप से काज है।
सुरसा का संहार करो माँ, सदा आप पर नाज है।।
श्रद्धा भक्ति से शीश झुके ये, माँ-माँ सदा पुकार है।
अम्बे माँ जगदम्बे मइया, माँ की शक्ति अपार है।।

भजन

बुलाती आज माता हैं,
सजा दरबार प्यारा है।
मनोहर मातु छवि देखो
बड़ा शृंगार न्यारा है।।

लगा जयकार माता की,
करें उपकार भी काली।
वहीं अम्बे वही दुर्गे,
वहीं मंशा महाकाली।।
भरें झोली हमारी माँ,
सदा जीवन निखारा है।

सवारी शेर की करतीं
विराजें माँ कमल आसन।
करो गुणगान माता के,
जलाओ दीप तुम पावन।।
चढ़ाओ लाल चुनरी भी,
सभी का माँ सहारा है।

पड़े जब जब चरण मां के,
शुभद होते सभी काजा।
नवाते शीश दर पे सब,
भले हो रंक या राजा।।
उतारें पार भक्तों को,
उन्होंने जब पुकारा है।

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

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