जय महागौरी
जय महागौरी

जय महागौरी

( Jai mahagauri : Mahagauri Mata Ki Aarti )

 

जय मां अंबे जय जगदम्बे, जय जननी भवानी।
श्वेत  वर्णी  वरदहस्त, सुख दायिनी कल्याणी।

 

सौम्य  स्वभाव  मुखमंडल, कांति  शक्ति दाता।
अष्ट भुजाओं वाली अंबे, गुण भक्त तिहारे गाता।

 

पर्वत वासिनी करो कृपा, सब सिद्धियों की दाता।
सारे जग की तुम नियंता, तुम ही भाग्य विधाता।

 

अलौकिक दरबार तुम्हारा, स्वर्ण सुशोभित माया।
भर देती भंडार भक्तों का, सच्चे मन जो ध्याया।

 

जहां  जहां  तेरी कृपा, खुशहाली  वहां आती।
मधुर प्रेम कि धारा बहती, सद्भाव गंगा बहाती।

 

यश  वैभव  सब देती  मां, सुख की बरसा होती।
सकल मनोरथ पूरे होते, जब कृपा तेरी मां होती।

 

जय महागौरी भक्त वत्सला, बुद्धि विवेक प्रदाता।
सकल सृष्टि में चेतन शक्ति, भाव तुम्हीं से आता।

 

ध्यानी योगी संत तपस्वी, मां कृपा तुम्हारी पाता।
आराधक  चरणों  में  तेरे,  सकल  मनोरथ  पाता।

 

जय पराक्रम बल वैभव, रण विजय दिलाती।
सुंदर सजा दरबार निराला, सारे दुख हर लेती।

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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