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जवाबदारी | Javabdari

जवाबदारी

( Javabdari ) 

 

बूंद, बूंद से बन जाती है नदी
और सागर से महासागर तक भी
हस्ती कोई भी हो ,छोटी नही होती
बूंद मे समाया रहता है महासागर भी…

एक ध्रुव तारा ही बदल देता है पंचांग को
एक इंद्र धनुष ही करा देता है पहचान रंगों का
एक ,कभी भी एक अकेला नहीं होता
वह एक ही कई एक का जन्मदाता होता है…

आप क्या हैं ,और कहांतक पहुंचना है
इसका निर्धारण तो आप ही करेंगे
रास्ते ,जिंदगी के समतल तो नही होते
रुकना है या चलना,फैसला तो आप ही करेंगे…

रास्ता तो केवल पहुंचता भर ही है
उसपर चलने की जिम्मेदारी आपकी है
हम साथ दें या न दें ,मगर जवाबदारी तो आपकी है..

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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