Ghazal on Ishq
Ghazal on Ishq

मेरे पास तुम हो

( Mere paas tum ho )

 

सुब्ह हो या शाम,मेरे पास तुम हो
दिल को है आराम,मेरे पास तुम हो

देखता रहता हूँ मैं सूरत तुम्हारी
और क्या है काम,मेरे पास तुम हो

हमसफ़र तुम हो तो अब इस ज़िंदगी का
कुछ भी हो अंज़ाम,मेरे पास तुम हो

एक दूजे बिन हैं ये जोड़ी अधूरी
राधा के संग श्याम,मेरे पास तुम हो

इश्क़ है मैं इसलिए तेरी नज़र के
पी रहा हूँ जाम,मेरे पास तुम हो

फेर ली हैं सबने आँखें आज मुझसे
मुझ पे है इल्ज़ाम,मेरे पास तुम हो

दर्द में भी अब ‘अहद’ हँसता रहेगा
ग़म हुआ नाकाम,मेरे पास तुम हो !

 

शायर: :– अमित ‘अहद’

गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129

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