जवाब क्या दोगे

( Jawab kya doge ) 

 

मानता हूं
दुनियां आपसे नही है
आप दुनियां मे हैं
किंतु ,आपके प्रभाव से प्रभावित
अन्यों का होना भी तो स्वाभाविक है…

संगत ,माहौल और मौसम से
कोई वंचित नही रह सकता
माना आप कुछ नही और बहुत भी हैं
पर,आपकी उपस्थिति भी मायने रखती है…

दुनियां बदल गई,लोग बदल गए हैं
भरोसा गलत है ,या सब मतलबी हैं
ये कहना ,आपके सही होने का प्रमाण तो नही
क्या आप बाहर हैं दुनियां के…

बदलाव तो सतत की प्रक्रिया है
कोई भी ,कभी भी ,कहीं भी से
शुभारंभ हो सकता है तो
पहल आपकी पहले क्यों नहीं…

दोषी कहना और दोष मुक्त होना
इस फर्क को समझे बिना
आप खुद भी तो
खड़े हैं प्रश्नों के कटघरे मे
कहो
इस बात का जवाब क्या दोगे ….

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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