Meri Pyari Ana

मेरी प्यारी अना

( Meri pyari ana ) 

 

मेरी प्यारी अना,
मैं तुम पे हूँ फना,
अपना लो सनम
करना मत मना!

दिल ने जब पुकारा ,
क्या तुमने था सुना?

बैठो कहां चल दी,
कुछ सुनाओ ना।

दूर क्यूँ इतनी हो,
करीब आओ ना।

ग़र रूठ गयी तुम,
तुम्हें लूँगा मैं मना।

 

कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

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