जज़्बात | Jazbaat shayari
जज़्बात
( Jazbaat )
राख हुये
एहसासों को
हवा न दो
कहीं
भड़क न जाये
सुलगता
शरारा कोई
दफन हो चाहे
जिस्म
कब्र में
मगर
सुना है
भटकती रूहें
कुछ ज्यादा
जज्बाती
हो जातीं हैं..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )