Jeevan ki Patwar
Jeevan ki Patwar

ये जीवन की पतवार तेरे हाथ में

( Ye jeevan ki patwar tere haath mein )

 

मेरी नैया है मझधार, गुरुवर करना भव से पार।
करूं अरदास मैं,
यह जीवन की पतवार,
तेरे हाथ में।।

अनजाना सा राही हूं मैं ,राह नजर ना आवै ।
राग द्वेष में उलझ रहा हूं, विषयन भी भटकावै।
जावै कोड़ी साटे माल, मेरा कुछ तो करो ख्याल।
बना हूं दास मैं।
यह जीवन की पतवार,
तेरे हाथ में।।

भाई बंधु कुटुंब कबीला, सब मतलब की यारी।
स्वार्थ का है नाता जग में, झूठी दुनियादारी।।
प्यारी लगती सबको माया, निर्बल हो जाए जब काया।
कछु ना पास में ।।
यह जीवन की पतवार ,
तेरे हाथ में।।

नश्वर यह संसार बताया ,सबको होगा जाना।
चंचल मन यह भटक रहा है, मिलता नहीं ठिकाना।
जगाना जांगिड़ शुद्ध विचार, छोड़ो झूठी यह तकरार।
कोई ना साथ में।
यह जीवन की पतवार,
तेरे हाथ में ।।

 

कवि : सुरेश कुमार जांगिड़

नवलगढ़, जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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