Jeevan ye Anmol

जीवन यह अनमोल 

( Jeevan ye anmol )

 

भर सकते हो तो भर जाओ
फूलों में कुछ रंग
अगर नहीं तो ना फैलाओ
यहाॅं वहाॅं दुर्गंध,
बांट सको तो प्यारे बांटों
प्यार सभी के संग
अगर नहीं तो नहीं मिलाओ
प्रेम रंग में भंग,
बोल सको तो बोलो मीठी
कोयल जैसी बोल
अगर नहीं तो तुम मत घोलो
तन मन में विष-घोल,
बन सकते हो तो बन जाओ
गंगा पावन नीर
अगर नहीं तो मत दे जाओ
अंतर्मन में पीर,
चमक सको तो निशदिन चमको
बनकर सूरज चांद
अगर नहीं तो मत भर जाओ
जीवन में उन्माद,
सीख सको तो त्याग सीख लो
जैसे सज्जन साधु
धरा धरा पर रह जायेगा
रखे सभी जो बांध,
बना सको तो मार्ग बनाओ
चले सत्य की ओर
अगर नहीं तो मत ले जाओ
अंधकार जह ओर,
सीखो और सिखाओ सबको
भाईचारा प्रेम
अगर नहीं तो मत छीनो तुम
सबके मन का क्षेम,
समझ सको तो मूल्य समझ लो
लो जीवन को तोल
अगर नहीं तो अर्थहीन है
जीवन यह अनमोल।

रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी

( अम्बेडकरनगर )

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