Jhunjhunu kavita
Jhunjhunu kavita

झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

( Jhunjhunu jhukna nahi janta )

 

 

रणवीर जुझारू भरी वसुंधरा सारा जहां मानता है
युद्ध या अकाल हो झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

 

देशभक्ति भाव भरकर रणधीर समर में रहते हैं
शूरवीर रणबांकुरे नित जय वंदे मातरम कहते हैं

 

मर मिटने का जज्बा ले सीमा पर सीना तानता है
हिम्मत हौसला भरा झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

 

शेरों की शेखावाटी है रणबीरों का गुणगान जहां
शहीद स्मारक साक्षी होता सपूतों का सम्मान यहां

 

सेना में शामिल होना हर बच्चा मन में ठानता है
धोरों की माटी झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

 

मातृभूमि शीश चढ़ाते अटल खड़े सेनानी वीर
गोला बारूद भाषा में दुश्मन का देते सीना चीर

 

रण में दिखलाते जौहर कीर्तिमान जग मानता है
रणधीरों का जिला झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

 

जोशीले हूंकारों में भारतमाता जयकारों में
तीर और तलवारों में वंदे मातरम नारों में

 

त्याग तपस्या योग धर्म भामाशाह जहां दानता है
शिक्षा में सिरमौर झुंझुनू झुकना नहीं जानता है

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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