जिंदगी में ही ( हाइकु )
जिंदगी में ही ( हाइकु )
1
जिंदगी में ही
है कहां मेरी ख़ुशी
ग़म ही ग़म
2
रही दिल में,
उसके दुश्मनी भी
कैसी दोस्ती थी?
3
कब निभायी,
उसने दिल से तो।
मुझसे दोस्ती।
4
भुला दी दोस्ती
अब उसका दिल
दगा ही दगा।
5
प्यार समझ,
कुछ नहीं रखा है।
नाराज़गी में।
6
आज़म से तू
मत कर यूं दगा।
आशिक़ी में तो।
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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