जिंदगी से ऐसी वो ख़ुशी रूठी है
जिंदगी से ऐसी वो ख़ुशी रूठी है
( Jindagi Se Aisi Wo Khushi Roothi Hai )
जिंदगी से ऐसी वो ख़ुशी रूठी है !
जब से आज़म से वो दोस्ती रूठी है
खो गयी वो राहें प्यार से ही भरी
दोस्त जब से मेरी रहबरी रूठी है
खेल चलता रहा नफरतों को यहां
वो नहीं जीवन से दुश्मनी रूठी है
ढूंढ़ू कैसे अंधेरे है घर उसका ही
राह से ही ऐसी चांदनी रूठी है
चोट लगी प्यार में हस नहीं पाया हूँ
हाँ लबों से ऐसी वो हंसी रुठी है
जिंदगी को घेरा तन्हाई के आकर
वो आज़म ही जब से आशिक़ी रूठी है