Jivo pe Daya Karo
Jivo pe Daya Karo

जीवो पे दया करें

( Jivo pe daya karo ) 

जीवो पे दया करें दीनो पे करे उपकार।
परोपकार श्रेष्ठ धर्म है सेवा ही सत्कार।

दया क्षमा प्रेम बांट करें औरों पे उपकार।
परोपकार से प्रभु प्रसन्न भर देते भंडार।

परमार्थ करते चले सन्मार्ग मिल जाए।
सेवा से आनंद मिले सुख समृद्धि आए।

दया दान धर्म जहां सदाचार उपकार।
परोपकार की भावना सुखी हो संसार।

औरों के हित जो जिए ईश्वर देता साथ।
बन जाते काम सब कृपा करें जगनाथ।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

यह मेरा हिंदुस्तान है | Hindi Poetry

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here