जो सच है सो सच है
जो सच है सो सच है
जो सच है सो सच है, अनदेखा क्यों करें हम
सदा की तरह भीड़ का ही पीछा क्यों करें हम
जिन्हे रहती नहीं हमारी कोई खबर
उनको बार बार यूँ देखा क्यों करें हम
कोई अहल-ए-वफ़ा पर कुछ कहता क्यों नहीं
इसी बात पर हर किसी से झगड़ा क्यों करें हम
अब तमाम जहाँ को है नहीं भरोसा हम पर
सो अब खुद पर भी भरोसा क्यों करें हम
लिख कर दे मुझे हर रस्म-ओ-राय अपनी
केहकर सर-ए-आम तमाशा क्यों करें हम
वो मेरे साथ है और में बस उसके साथ हूँ
किसी और पर अपना दावा क्यों करें हम
जो बात तेरे और मेरे बीच है, यहीं ख़त्म कर दे
दूसरों के सामने कोई नया हंगामा क्यों करें हम
‘अनंत’ दुनिया को कोई परवाह नहीं है तुम्हारी
फ़क़त दिखाने को दुनिया के परवा क्यों करें हम
?
शायर: स्वामी ध्यान अनंता
( चितवन, नेपाल )